कक्षा दसवीं कृतिका पाठ 1 (माता का आँचल)
शब्दार्थ मृदंग – ढोलक जैसा वाद्य यंत्र। तंग – कमी। तड़के – प्रभात, भोर की बेला। अंग लगाना – साथ पकड़ना। भभूत – राख। दिक करना – परेशान करना। लिलार – माथा। त्रिपुंड – एक प्रकार का विशेष तिलक, जिसमें तीन आड़ी रेखाएँ बनाई जाती हैं। आईना – दर्पण। निहारना – ध्यान से देखना। विराजमान – उपस्थित। शिथिल – ढीला, कमजोर। उतान – पीठ के बल लेटना। फूल का कटोरा – एक विशेष मिश्र धातु से बना बर्तन। सानकर – मिलाकर। अफरना . पेटभर खा लेना। कौर – ठिकाना। मरदुए – आदमी, पुरुष। महतारी – माता। चट कर जाना – खा जाना। कड़वा तेल – सरसों का तेल। बोथना – सराबोर करना। बाट जोहना – इंतजार करना। हम जोली – साथी। चँदोआ – छोटा शमिआना। बढ़ाकर – हटाकर। मुहड़े – गोल मुँह। पिसान – आटा। ज्योनार – दावत, भोज। जीमना – भोजन करना। पंगत - पंक्ति। अमोला – आम का उगता हुआ लाल पौधा जिसमें बीज या गुठली लगी रहती है। कलसा – कलश। ओहार – परदे के लिए डाला गया कपड़ा। उधा...
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